मध्य प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ
व्यवहार
न्यायालय अधिनियम एवं नियम
1961
सिविल
दावा प्रस्तुत होने पर प्रस्तुतकार
द्वारा प्रथम जॉच रिपोर्ट
देने के
आधार
38-
वाद
पत्र की जाॅच प्राप्तकर्ता
प्राधिकारी यह समाधान करने
के लिए करेगा कि विधि की
सभी आवश्यकतओं का पालन किया
गया है या नहींँ यह भी जॉच अन्य
बातों के
सिवाय निम्न बातों के निर्धारण
की दशा में होना चाहिए
1 क्या
निर्धारित मूल्यांकन के अनुसार
वाद पत्र में उचित मुद्रा पत्र
लगाया गया है
2 वह
क्या उचित रूप से हस्ताक्षरित
और सत्यापित है
3 वह
क्या आदेश 7
नियम
1
से
18
तक
की अपेक्षओं की पूर्ति कर सकता
हैँ
4 क्या
भूमि की प्राप्ति संबंधी
प्रकरण में उसमें दावाक्त
भूमि के पर्याप्त विवरण विवरण
वर्णित
किए गए है जैसे कि यदि कोई
सम्पूर्ण भू-खड
या खेत जिसका अलग से मानांक
निर्धारित है दावाक्त है तो
क्या वाद पत्र में उसका सर्वे
क्रमांक तथा क्षेत्रपल
वणिर्त
है अथवा यदि ऐसे किसी सर्वे
क्रमांक का कोई भाग दावाक्त
है तब क्या वाद पत्र
में दावाक्त क्षेत्रपल विशेष
रुप से सीमांकित किया गया है
तथा उसकी स्थिति तथा
सीमाऍ वाद पत्र के साथ संलग्न
मानचित्र में स्पष्ट रुप से
दर्साई गई है \
5 क्या
आेदशिका शुल्क तथा सीमाऍ वाद
पत्र के साथ संलग्न मानचित्र
में स्पष्ट रुप से दर्शाई
गयी है \
6 यदि
वाद पत्र के साथ कोई लेख पत्र
प्रस्तुत किया गया है तो क्या
उसके साथ निर्धारित
प्रारुपसूची भी सलग्न की गई
हैA
7क्या
वाद पत्र के साथ आदेश 7
नियम
19
द्वारा
अपेक्षित वादी का पंजीक़त
पता किया
गया \
8 अवयस्क
वादियों तथा प्रतिवादियों
की स्थिति में आदेेश 32
नियम
1
एवं
3
की
आपेक्षओं
का पालन किया गया है और आवश्यक
प्रार्थना पत्र एवं उसके
समर्थन में आवयस्क
प्रतिवादी के प्रस्तावित वाद
कालीन अभिभावक
की उपयुक्तता को सत्यापित
करते हुए शपथ पत्र दिया गया
है \
9 क्या
वाद न्यायालय के आर्थर्क एवं
प्रादेशिक क्षेत्राधिकार
का है \
10 क्या
वाद प्रत्यक्षतः अवधि भीतर
है \
11 क्या
अभिभाषक द्वारा नियमानुसार
स्वीक्त एवं प्ष्ठाकित अभिभाषक
पत्र प्रस्तुत किया गया
है और क्या बिना पढे लिखे
निष्पादक की स्थिति में उसे
नियम 9
-क
की आपेक्षानुसासर
प्रमाणित किया गया है \
12 पाद
पत्र की जॉच उपरान्त अधिकारी
अपनी राय निम्नलिखित रुप मे
अंकित करेंगे -----------------
दिनांक
--------------------
को
-----------------------------
द्वारा
प्रस्तुत उचित रुप से लिखित
है प्रत्यक्षतः
अवधि भीतर है तथा उचित रुप से
मुद्रांकित है । तदुपरांत वह
जहॉ आवश्यक
हो अपने वाद पत्र एवं आवेदन
पत्रों की पंजी क्रमांक दो
॒ 78
में
करेंगे तथा उसे
सम्बंधित न्यायालय को भेज
देंगे ।
टिप्पणी
-
यह
नियम आवेदनों तथा अपील के
ज्ञापनों को भी लागू होगाँ ।
ऐसी पंजी उसमे
की गई अन्तिम प्रविष्टि के 3
वर्ष्
उपरांत नष्ट कर दी जावेगी ।
यदि
जांचकर्तार् अधिकारी किसी
वाद को किसी कारण वापसी या
अस्वीक्त योग्य समझता
है तो उसे वह आदेश हेतु न्यायाधीश
के पास भेज देगा
।
यदि
कोई वादी चाहता है तो वह वाद
पत्र के साथ निम्न प्रारुपों
में प्राप्ति स्वीक्त
उसके कालम क्रमों 1
से
3
को
भरकर लगा सकता है । वाद पत्र
प्राप्त करने वाला
अधिकारी कॉलम 1
से
3
की
प्रविष्टियों की जॉच करके
कॉलम 4
में
आवश्यक प्रविष्टि
करेगा । और वह प्राप्ति स्वीक्ति
तत्काल वाद प्रस्तुत करने
वाले व्यक्ति को वापिस
कर देगा ।